

अविनाश व्यास. बीकानेर ।रविवार को मतगणना के बाद राजस्थान में नई सरकार को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी। हालांकि सामने आए एग्जिट पोल मतदान के बाद किसी नजरिए को बताने की बजाय इस तस्वीर को और धुंधला कर रहे हैं। कई एग्जिट पोल कांग्रेस और कई भाजपा के सरकार बनाने की बात कह रहे हैं तो निर्दलीयों के हाथ में भी चाबी की संभावना जताई जा रही है। इन सब के बीच एक चर्चा भाजपा में वसुंधरा राजे को लेकर भी है। हालांकि मतगणना के बाद यदि भाजपा को बहुमत मिलता है तो बहुत हद तक इस बात की संभावना है कि राजस्थान में अगला चेहरा वसुंधरा राजे ही होगी। दरअसल इस संभावना के पीछे कई कारण भी है।
लोकप्रियता में कोई आसपास भी नहीं
भाजपा ही नहीं बल्कि देशभर में लोकप्रियता के मामले में नरेंद्र मोदी का कोई सानी नहीं है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। ठीक उसी तरह राजस्थान में भी कांग्रेस में अशोक गहलोत, सचिन पायलट के मुकाबले में भाजपा से सर्वाधिक लोकप्रिय नाम में वसुंधरा राजे शुमार है। जिसका सीधा सा मतलब है कि भाजपा में वसुंधरा राजे के लोकप्रियता के पैमाने के आसपास भी कोई दूसरा नेता नहीं है। ऐसे में जनता के मूड को दरकिनार करना बीजेपी आलाकमान के लिए संभव नहीं लगता।
विधायकों पर पूरी पकड़
भले ही टिकट वितरण में वसुंधरा राजे की पूरी तरह से वीटो नहीं चलने की बात कही जा रही हो बावजूद इसके यह साफ है कि भाजपा से जीत कर आने वाले विधायकों पर भी वसुंधरा राजे की पकड़ कमजोर नहीं होगी। दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रहने के दौरान वसुंधरा राजे ने इतनी पकड़ बनाई है कि भाजपा से चुनकर आने वाले विधायक राजे विरोध की सोच भी नहीं सकते।
2 दिन की सक्रियता भी कर रही इशारा
दरअसल एग्जिट पोल सामने आने के बाद वसुंधरा राजे की सक्रियता भी इस और इशारा कर रही है कि आने वाले दिनों में वसुंधरा राजे चुप नहीं बैठने वाली है। चाहे राज्यपाल कलराज मिश्र से शिष्टाचार मुलाकात हो या फिर संघ के नेताओं से मुलाकात का दौरा और सबसे बड़ी बात जो राजे के अगले कदम की ओर इशारा करती है वो है देवदर्शन। सब जानते हैं कि राजस्थान में राजनीति में अपनी किसी भी तरह की शुरुआत करने से पहले वसुंधरा राजे देव दर्शन जरूर करती है और शनिवार को जयपुर के मोती डूंगरी मंदिर में पहुंचकर वसुंधरा राजे ने देव दर्शन किए। इससे माना जा सकता है कि अब राजे ने अपने मिशन की शुरुआत कर दी है।
6 महीने बाद है आम चुनाव
2024 में लोकसभा के चुनाव हैं और नरेंद्र मोदी और अमित शाह हर हाल में राजस्थान में पिछली बार का प्रदर्शन दोहराने की कोशिश में रहेंगे। यह साफ है कि बिना वसुंधरा राजे को साथ लिए इस मिशन में संभव होना उनके लिए भी कठिन है। राजे की लोकप्रियता को देखते हुए इस बात की बहुत कम संभावना है की दूसरी नेताओं के मुकाबले राजे को दरकिनार किया जाए।
जोड़तोड़ में भी कोई दूसरा नहीं
वसुंधरा राजे के भाजपा का चेहरा होने को लेकर एक सबसे बड़ी वजह भाजपा के बहुमत के पास आकर निर्दलीयों के भरोसे रहने की स्थिति का भी है। यदि निर्दलीयों के भरोसे भाजपा को सरकार बनाने की जरूरत पड़ी तो भी वसुंधरा राजे के बिना यह संभव नहीं है क्योंकि दूसरा कोई नेता वसुंधरा राजे के मुकाबले इस जोड़ तोड़ की राजनीति में सक्षम नजर नहीं आता है। वहीं भाजपा में संभावित चेहरे खुद अपनी सीट पर उलझे हुए हैं ऐसे में पार्टी वाला कमान को भी इन चुनाव में कई तरह के फीडबैक देखने को मिल चुके हैं जो वसुंधरा राजे को दूसरे नेताओं से अलग और ऊपर खड़ा करते हैं।