बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान केंद्र में सोमवार को मासिक तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान अतिरिक्त निदेशक कृषि (विस्तार) त्रिलोक कुमार जोशी व कृषि अनुसंधान केंद्र के क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ एच एल देशवाल ने इसकी अध्यक्षता की। अतिरिक्त निदेशक कृषि ने बताया कि एसएसपी फाॅस्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें 16 प्रतिशत फाॅस्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर पाया जाता है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहन एवं दलहन फसलों के लिये अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है। मासिक तकनीकी कार्यशाला में खण्ड बीकानेर, चूरू व जैसलमेर के कृषि, उद्यानिकी, आत्मा के वरिष्ठ अधिकारी व विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया। मासिक तकनीकी कार्यशाला में अक्टूबर में की गए कृषि क्रियाओं की प्रगति पर समीक्षा की गई। नवम्बर में कृषकों द्वारा की जाने वाली कृषि व उद्यानिकी तकनीकी पर चर्चा की गई। कृषि वैज्ञानिक अमर सिंह गोदारा ने रबी फसलों की विभिन्न उन्नत किस्में व शष्य क्रियाओं पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि एसएसपी उर्वरक का उत्पादन राज्य में होने के कारण यह आसानी से उपलब्ध है। एक बैग डीएपी की कीमत में तीन बैग एसएसपी खरीदे जा सकते हैं। तीन बैग एसएसपी से मिलने वाले पोषक तत्वों का मूल्य लगभग 1900 रुपए होता है, जो एक बैग डीएपी में मिलने वाले पोषक तत्वों के मूल्य 1350 रुपए से अधिक है। एसएसपी के साथ यूरिया का उपयोग कर फसल बुवाई के समय आवश्यक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं सल्फर पोषक तत्वों की पूर्ति कम लागत में ही आसानी से की जा सकती है। फसलों में संतुलित पोषण के लिए डीएपी के बजाय एन पी के (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) ग्रेड्स उर्वरक अधिक उपयुक्त है। मृदा की उर्वरा क्षमता बनाये रखने एवं फसल का समुचित उत्पादन लेने हेतु मृदा परीक्षण के आधार पर की गई अनुशंषा एवं फसल अवस्था अनुसार उपयुक्त ग्रेड के एन पी के उर्वरक का उपयोग किया जावे। एन पी के उर्वरकों की उपलब्ध ग्रेड्स 12:32:16, 20:20:0, 20:20:20, 16:16:16, 15:15:15, 20:20:0:13, 19:19:19 आदि हैं। कीट वैज्ञानिक डॉ देशवाल ने रबी फसलों में कीट नियंत्रण पर व्याख्यान दिया। पौध व्याधि वैज्ञानिक डॉ. दाताराम ने रबी फसलों में पौध व्याधि नियंत्रण के बारे में बताया।
संयुक्त निदेशक कृषि मदन लाल, संयुक्त निदेशक उद्यान डॉ. दया शंकर शर्मा, संयुक्त निदेशक कृषि चूरू राजकुमार कुलहरि के साथ संभाग के कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों ने इसमें भाग लिया।

























