बीकानेर । गौशाला ओरान संरक्षण संघ राजस्थान ने बीकानेर विकास प्राधिकरण (BDA) द्वारा प्रकाशित मास्टर डेवलपमेंट प्लान 2043 पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई हैं। संगठन ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपकर इस योजना को तत्काल रद्द करने की मांग की है, क्योंकि यह कानून का उल्लंघन करती है और बीकानेर की ऐतिहासिक व पर्यावरणीय धरोहर को नष्ट कर देगी।
योजना के मुख्य बिंदु जिन पर आपत्ति है:
गौचर भूमि का गैरकानूनी परिवर्तन: नए मास्टर प्लान में बीकानेर के 188 गांवों की समस्त गौचर भूमि को आवासीय और सार्वजनिक उपयोग के लिए दर्शाया गया है। इसमें विशेष रूप से शरह नथानिया (27,205 बीघा), गंगाशहर (6,800 बीघा), और भीनासर (5,200 बीघा) की ऐतिहासिक गौचर भूमि शामिल है।
ऐतिहासिक और कानूनी उल्लंघन: संगठन के अनुसार, राजस्थान लैंड रेवेन्यु एक्ट 1956 और राजस्थान टीनेंसी एक्ट 1955 स्पष्ट रूप से गौचर भूमि के उपयोग को सीमित करते हैं। शरह नथानिया गौचर, जिसे महाराजा करण सिंह ने 1676 में और महाराजा गंगा सिंह ने 1909 में गौवंश के लिए संरक्षित किया था, उस पर हाई कोर्ट की निषेधाज्ञा (निर्णय) भी लागू है।
पर्यावरण और जैव विविधता को खतरा: बीकानेर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित ये गौचर भूमियाँ शहर को ऑक्सीजन प्रदान करने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। शरह नथानिया गौचर में हजारों जंगली जानवर और लाखों पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
कानूनी वैधता पर सवाल: गौशाला ओरान संरक्षण संघ का दावा है कि BDA को नया मास्टर प्लान बनाने का कानूनी अधिकार नहीं है। उनका तर्क है कि पूर्व में मास्टर प्लान की सभी कानूनी प्रक्रियाएं 12 दिसंबर 2024 को ही पूरी हो चुकी थीं, जबकि BDA का गठन 1 अप्रैल 2025 को हुआ था। इसलिए, BDA द्वारा 26 अगस्त 2025 को प्रकाशित यह योजना गैरकानूनी और “एब इनिशियो वॉइड” (शुरुआत से ही शून्य) है।
राजनीतिक और सामाजिक रोष: संगठन ने आरोप लगाया है कि यह योजना कुछ भू-माफियाओं को लाभ पहुँचाने के लिए बनाई गई है। इससे आम जनता और पार्टी के बड़े वोट बैंक में भारी रोष है। इस योजना से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है और इससे बड़े आंदोलन और प्रदर्शन हो सकते हैं।
संगठन ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे प्रस्तावित मास्टर प्लान को रद्द करें और 12 दिसंबर 2024 को प्रकाशित पूर्व योजना को ही बहाल करें, जिसमें गौचर भूमि को गौचर के रूप में ही दर्शाया गया था। ज्ञापन की प्रतियां भारत के गृह मंत्री और राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को भी भेजी गई हैं।
कार्यक्रम में जनसमूह ने लगभग 5000 से अधिक आपत्तियां पेश की, जो समिति बीडीए में जमा करवाएगी। इस अवसर पर नवलरामजी महाराज, विमर्शनंदजी महाराज, श्यामसुंदरजी महाराज, किशनजी महाराज, श्यामगिरिजी महाराज, गोविंदस्वरूप जी महाराज, वसुंधरा नन्दजी महाराज, रामप्रसाद जी महाराज जोधपुर, भागीरथ दास जी महाराज, रामाचार्यजी महाराज, पूर्व मंत्री डॉ बीडी कल्ला, शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत, उदयरामसर सरपंच प्रतिनिधि हेमंत यादव, बृजरतन किराडू, भाजपा नेता भगवान सिंह मेड़तिया, भाजपा नेता दुर्गाशंकर व्यास, पार्षद अनूप गहलोत, पार्षद नंदू सोलंकी, पार्षद भंवरलाल, भाजयुमो अध्यक्ष वेद व्यास, भाजयुमो देहात अध्यक्ष जसराज सिंवर, पीसीसी सचिव रामनिवास कूकना, पीसीसी महासचिव जियाउर्रहमान, गणेशदान चारण, पूर्व महापौर मकसूद अहमद, विजय उपाध्याय, मुकेश जोशी चित्रकार, मोनासरदार डूडी, महेश किराडू, मोहित राव आदि मौजूद रहे।
सभा में पूर्व मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी का एक ऑडियो सुनाया गया जिसमें भाटी ने कहा कि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है इसलिए मैं अनुपस्थित रहा और प्रशासन नहीं मानता है तो व्यापक आंदोलन हम सब की भागीदारी में होगा।
सभा स्थल पर बीकानेर गौशाला संघ, गौग्राम सेवा संघ राजस्थान, वंदे गौ मातरम् मंच, जय गौमाता समिति, खाटूश्याम गौ सेवा समिति, युवा गौसेवा समिति, संस्कृति पाटा मोहता चौक समिति, भारतीय किसान संघ, हिंदू जागरण मंच, जीव रक्षा गौ सेवा समिति, विप्र फाउंडेशन, क्षत्रिय सभा बीकानेर, जय भवानी फोर्स, छः न्याति ब्राह्मण महासंघ आदि दल बल के साथ पहुंचे। इसके साथ विभिन्न ग्राम के सरपंच व पूर्व सरपंच उपस्थित रहे।
आंदोलन के संयोजक शिव गहलोत ने सभा को संबोधित करते हुए प्रशासन को चेताया और कहा कि अगर प्रशासन अगर समिति की मांगे नहीं मानेगा तो ये आंदोलन विशाल रूप लेगा। आयोजन समिति के सूरजमाल सिंह नीमराना, योगेश गहलोत, सूरज प्रकाश राव, मनोज सेवग आदि ने भी सभा को संबोधित किया

























