

अविनाश व्यास.बीकानेर। लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन होती है। जनता के आगे ना पद का प्रभाव चलता है और न ही कुछ और। सोमवार को बीकानेर संभाग की गंगानगर जिले की करणपुर विधानसभा का चुनाव परिणाम यही संदेश दे गया। कड़कड़ाती ठंड में यह चुनाव परिणाम सियासत में गर्माहट पैदा कर गया।
भाजपा की रणनीति हुई फेल
करणपुर से दिवंगत गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के चलते इस सीट पर चुनाव स्थगित हो गए थे और कांग्रेस ने यहां से गुरमीत सिंह के पुत्र रूपेंद्र सिंह को मैदान में उतार कर सहानुभूति की लहर पर चुनाव लड़ने की शुरुआत की। लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद भाजपा ने यहां चुनावी रणनीति के तहत चलते चुनाव के बीच हुए मंत्रिमंडल के गठन में यहां से भाजपा के प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाकर पूरे चुनाव की फिजा बदलने की कोशिश की हालांकि इसको लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग को शिकायत भी की। टीटी को नहरी क्षेत्र का महत्वपूर्ण विभाग भी सौंपा गया था कि जनता में एक संदेश जाए। लेकिन जिस तरह से सोमवार को चुनाव परिणाम सामने आया उसे साफ पता चलता है कि भाजपा की चुनावी रणनीति यहां पूरी तरह से फेल हो गई।
कांग्रेस की एकजुटता
विधानसभा चुनाव में आपसी फूट के चलते कहीं ना कहीं कांग्रेस को प्रदेश में नुकसान हुआ और इसका सबक कांग्रेस ने करणपुर विधानसभा चुनाव में लिया। कांग्रेस के बड़े नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने यहां चुनावी सभा की और एकजुटता का संदेश दिया।
भाजपाई दिग्गज नहीं कर सके करिश्मा
कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने भी यहां चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी सहित बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार किया लेकिन भाजपा यहां कोई करिश्मा नहीं कर सकी।
पहली बार हारे मंत्री
उपचुनाव के दौरान सताधारी पार्टी के प्रत्याशी के चुनाव हारने का यह पहला मामला नहीं है लेकिन संभावित राजस्थान में पहली बार ऐसा हुआ कि सरकार बनने के बाद चुनाव लड़ने प्रत्याशी को मंत्री बनाया गया और वह चुनाव हार गया।