

बीकानेर। सांख्य दर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल मुनि की तपोभूमि श्रीकोलायत का चुनाव अचानक रोचक मोड़ में आता नजर आ रहा है। अब तक कांग्रेस और भाजपा में यहां सीधा मुकाबला माना जा रहा था लेकिन चुनावी मौसम में पूर्व विधायक और कांग्रेसी नेता रेवंतराम पंवार ने कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का दामन थाम लिया। रेवंतराम के RLP ज्वाइन करने के बाद पार्टी ने उन्हें अपनी घोषित पहली सूची में श्रीकोलायत से टिकट देकर चुनावी समर में उतारा है और पंवार को प्रत्याशी करने के साथ ही अब श्रीकोलायत का मुकाबला त्रिकोणीय बनने की संभावना है।
वोट बिखराव का लाभ लेने की कोशिश
दरअसल कांग्रेस ने यहां से भंवरसिंह भाटी को तीसरी बार मैदान में उतारा है। वहीं करीब एक महीने पहले फिर से भाजपा में शामिल हुए देवीसिंह भाटी के भाजपा से चुनाव लड़ने की चर्चा है और माना जा रहा है कि पार्टी स्तर पर उनका टिकट घोषित होने की औपचारिकता शेष है। ऐसे में अब तक मुकाबला भाटी वर्सेस भाटी माना जा रहा था लेकिन अब आरएलपी के बैनर से रेवंतराम पंवार के मैदान में उतरने के बाद अब तक दो प्रत्याशियों में बंटने वाले वोटो का बिखराव तीन प्रत्याशियों में होना तय माना जा रहा है और आरएलपी इस बिखराव को भुनाने की कोशिश में है।
खुद का गृह क्षेत्र
नोखा से दो बार विधायक रह चुके रेवंतराम पवार एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा से विधायक रह चुके हैं और 2009 में बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रह चुके हैं। ऐसे में ये क्षेत्र रेवंतराम के लिए नया नहीं है क्योंकि उनके खुद का पैतृक गांव भी कोलायत तहसील में है।
दोनों दलों के लिए चुनौती बनने की कोशिश
अब तक ये माना जा रहा था कि श्रीकोलायत में कांग्रेस और भाजपा में आमने-सामने की टक्कर होगी लेकिन ऐनवक्त पर रेवंतराम के मैदान में उतरने के बाद अब वे दोनों पार्टियों को चुनौती देने की बात कह रहे हैं। हालांकि उनका दावा धरातल पर हकीकत में कितना बदलेगा यह तो जनता जनार्दन तय करेगी। लेकिन इतना तय है कि तीसरी पार्टी के मैदान में उतरने से अब वोटों का बिखराव जरूर होगा और अब यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस और भाजपा में से ज्यादा असर किस पर पड़ता है और कौन अपने वोटों को सहेज कर नुकसान से बचा पाता है।